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URDU.

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A,

66

نے

جب مین روم (Home) مین تھا ایک روز صبح کو مین ايسي غلطي کي جس پر هنسي آے ۔ سرک کے اُس جانب جسطرف سایه تها ایک آدمي اپني توپي هاتهه مين لئے کھڑا تھا ۔ مین جو گذرا اُس نے ميري طرف درد انگیز نگاہ سے دیکھا اگرچه کچهه کہا نہیں - اُس کا چہرہ ایسا غمزده تھا اور اُس کا کوٹ ایسا پرانا تها که فوراً مین نے اسکو ان فقیروں میں سے گمان کر لیا جنکو غربت غیروں کی خیرات قبول کرنے پر مجبور کرتی ھے مگر غیرت اُن کو سوال کرنے سے منع كرتي هي مين نے دل میں کہا ۔ ” اے غریب آدمي تم نے بیشک اور اچھ دن دیکھے ھین اور جو تھوڑا مین دے سکتا تھا میں نے اُس کي توپي کے اندر ڈال دیا ۔ اُس نے روپے کی طرف اس طور سے دیکھا کہ گویا وہ بچھو ھے اور بجات اس کے کہ میرا شکریہ کرے اُس نے میرے اوپر اپني ملكي زبان کي ساري بد دعائین بوچهار کردي * پھر اُس سکے کو سڑک پر پھینک کر اُس نے اپني ميلي نوبي دونو هاتھوں سے اپنے کانوں پر جمائی اور قديمي رومن کي پوري شان کے ساتهه اکرتا روانه هو گیا * یهه دیکهه ایک بنیا جو اپنی دوکان کے دروازے پر کھڑا مارے هنسي کے هل رها تها اُس کو بڑي تفريح حاصل هوئي * معذرت کے

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لئے مجھکو وقت نه ملا بهي مگر جب مین روانه هوا تو نے عہد کر لیا که آینده زیاده تر خبردار رهونگا اور ھر

مين

غریب بھلے آدمی کو جو موسم گرما کے گرم کے گرم دن مین اپني

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نوبي هاتهه مين

لئے سایه مین

كهرا رهنا پسند کرے غلطي

سے فقیر نه سمجهه لیا کرونگا

بتلا دون

66 ·

B.

شهر بنارس میں ایک چور جس کا نام دھورتک (Dhurtaka) تھا ایک امیر سوداگر کے گھر میں سیندهه دیتے وقت پکڑا گیا ۔ اُس کو سزاے موت کا حکم دیا گیا ۔ جب وہ مقام قتل مين پہنچا تو اُس نے پادشاہ کے افسروں سے کہا ” قبل اس کے که مین مرون میں چاهتا هون که تمهارے آقا کو ایک بڑا بھید جب اُس کو شاهي مجلس میں لے گئے تو پادشاہ نے اُس سے پوچھا کہ تیرا بھید کیا ھے ۔ اُس نے جواب دیا - حضور مین تخم سے سونے کا پھول اُگانے کا فن جانتا هون بادشاہ کو لالچ پیدا ھوا ۔ اور اُس کو تین مہینے كي مهلت عطا فرمائي - اُس شخص نے سونے کا برادہ اور چیزون کے ساتھہ ملاکو اور تخم کے مانند چھوٹی گولیان بناکر ایک علیحدہ مقام میں ایک تیرا زمین کا کھودا - جب " حضور سب کچهه طيار

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66

یه هو چکا تو پادشاہ سے کہا

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هے ۔ اب بیجون کو چاھئے ایسا کوئی ہوئے جس

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کوئی چیز چرائي نهو - حضور هي مهرباني کر کے تخم

ريزي

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کا کام کردین “ ۔ بادشاہ نے تامل کے ساتھ جواب دیا . نے اپنے باپ کے

جب میں لڑکا تھا - کبهی کبهي مين روپے کے صندوق سے روپے لیکر اپنے ساتھہ کے کھیلنے والون کو

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66

میرے وزیروں میں سے ایک بیجون کو بو دیگا ،

لیکن وزیرون مین سے کسی نے اپنے تئین جرم سے بالکل پاک تصور نہ کیا ۔ تب وہ چالاک چور بولا ۔ ” تو اگر هم مین سے

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سب چور هین - میں کیون اکیلا مارا جاؤں ، تب پادشاه

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,,

دیکهتا هون که تم خوش طبع آدمي هو

مين
ھنسا اور بولا

ب کبهي مين افسرده تم همیشه میرے پاس رها کرنا ۔ اور جب

خاطر رهون مجهکو هنسايا كرنا ،

URIYA.

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A.

ସେମନଗରରେ ଲବେଲେ ଦନେ ସକାଳଓଳି ମୁଁ ଗୋଟାଏ ହାସ୍ୟଜନକ ଭୂଲ କର ଵଲ୍ । ଜଣେ ଲେକ, ହାତରେ ଟୋପିଅଭ ମାର୍ଗର ଯେଉଁପାଖରେ ଗୁପ୍ତା, ସେହପାଖରେ ଛଡ଼ା ହୋଇଲେ । ମୁଁ ଭାହା ପାଖଦେଇ ଗଲାବେଳେ, ସେ କିଛି ନ କହିଲେହେଁ, ମୋ ଅଙ୍ଗକୁ କରୁଣ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଅନାଇଲ । ତାହାର ମୁଖ ଏପର ସ୍ନାନ ଦଶୁ ଅଙ୍ଗ ଏବଂ ତାହାର ପିନ୍ଧିବା କୋଠି, ଏପର ଖଣ୍ଡିସୂର୍ବ ହୋଇଲା ଯେ ମୁଁ ମନେ କଲ, ଯେଉଁ ଭକ୍ଷକମାନେ ଦାଶୂଦ୍ର୍ୟ ଦ୍ଵାର ବାଧ୍ୟ ହୋଇ 'ଅପରଚିତ ଲେକଠାରୁ ଦାନ ଗ୍ରହଣ କରନ୍ତି, କିନ୍ତୁ ଅଈମାନ ହେତୁରୁ ମାଗି ପରନ୍ଧ୍ର ନାହିଁ, ଏବ୍ଯକ୍ତି ସେହପର ଈକ୍ଷୁକ ହେବ । ମୁଁ ମନେ ମନେ କହିଲେ, ହେ ଦୁଃଖି, ରୁମ୍ଭେ ନଶ୍ଚେ ପୂର୍ବେ ଏକ ସମୟରେ ସମ୍ପଦ ଭୋଗ କରିଅଛ; ଏବଂ ଏହିକଥା ସ୍ୱ ମୋର ସାମର୍ଥ୍ୟ ଅନୁସାରେ ଯଭୂକମ୍ପୁରୁ ତାହାର ଧେପିରେ ସ୍ପଷ୍ଟ ପକାଇ ଦେଇ । ପ୍ରଦତ୍ତ ଅର୍ଥ ଯେହ୍ନେ ଗୋଞ୍ଜାଏ ଦୃଶ୍ଚିକ, ଏପର ତ୍ସବରେ ସେ ସେତ ଅନାଇଲ ଏବଂ ମୋତେ ଧନ୍ୟବାଦ ଦେବା ଦୂରେ ଥାଉ, ଯାହାର ଦେଶୀୟ ଭାଷାରେ ସମସ୍ତ ଅଭ୍ୟସଭ୍ ମୋ ଉପରେ ବର୍ଷଣ କଲା । ଭର୍ଜି ଉଗରେ ମୁଦ୍ରାକୁ ସସ୍ତ। ଉପରେ ଫିଙ୍ଗି ଦେଇ ସେ ଦୁଇହାତରେ ତାହାର ମଇଲ ପିକୁ ଧର ମୁଣ୍ଡ

ଉପରେ ଥୋଇଲ ଏବଂ ଜଣେ ପ୍ରାଚୀନ ଗ୍ରେମୀୟ ପର ଅପରେ ସେଠାରୁ ସ୍କୁଲଗଲ । ଯାହା ଦେଖି ନଜ ଦୋକାନଦ୍ୱାରରେ ଛଡା

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ହୋଇବା ଜଣେ ମୋଗୀ ଅହାସ ସମ୍ବରଣ କରି ପାଭଲ ନାହିଁ । ମୁଁ କ୍ଷମା ପ୍ରର୍ଥନା କରିବାପାଇଁ କଛମାଏ ସମସ୍ତେ ନ ପାଇ, ସେଠାରୁ ସ୍ଫୁଲଗଲବେଲେ ଏହା ପ୍ରଭଜ୍ଞା କଲ ଯେ ଭବଷ୍ୟତରେ ଅସ୍ତ୍ରକ ସାବ ଧାନ ହେବ ଏକ ରୌଦ୍ରସନ୍ତପ୍ତ ଗ୍ରୀ ବୃଦନରେ ହାତରେ ଟୋପିଧର ସ୍ତରରେ ଛଡ଼ା ହୋଇବ। ଦରଦ୍ର ଲେକକୁ ଭକ୍ଷକ ବୋଲ ଅଉ ଭୂଲ କରବ ନାହିଁ ।

B.

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ବାରାଣସୀ–ନଗରୀରେ ଧୁର୍ତ୍ତକ-ନାମକ ଜଣେ ଖେର ଜଣେ ଧନୀ ବଣିକର ଗୃହରେ ପଶିବା ବେଲେ ଧସ୍ତ୍ର ପପଲ ଏବଂ ବଧ-ଦଣ୍ଡାଜ୍ଞା ପ୍ରାପ୍ତ ହୋଇ ଵଲ । ସେ ଯେତେବେଲେ ବଧ୍ୟ ସ୍ଥାନରେ ପଦ୍ମଲ, ସେ ଗଜକର୍ମଷ୍ଟ୍ର ମାନଙ୍କୁ କହିଲା “ମୁଁ” ମରିବା ପୂବେ ଭୁମ୍ଭ ପ୍ରଭୁଙ୍କୁ ଗୋଟିଏ ବଡ଼ ଗୋପ୍ୟକଥା ଜଣାଇବା ପାଇଁ ବାଞ୍ଛା କର ପଛ , ସେ ଗଜସଭ୍ୟଙ୍କୁ ୩ଭ ହେଲାରୁ, ସଜା ପଶ୍ଚରଲେ, “କ ଗୁପ୍ତ କଥା ଭୁମ୍ଭର କହବାର ଅଛ ?” ସେ ଉତ୍ତର କଲ, “ମହୋଦୟ, ମୁଁ ମଞ୍ଜିର ସୁନାଫୁଲ ଜନ୍ତ୍ରାଇବାର ବଦ୍ୟା ଜାଣେ ।” ଲେଭମୁଗ୍ଧ ଗଜା ତନମାସ କାଲ ଭାହାର ଦଣ୍ତ ମଲ୍ଲବ୍ ରହବାର ଅଜ୍ଞା ଦେଲେ । ସେ ଲେକ କରୁ ସୁଗୁ ଣ୍ଡ୍ରି ଅନ୍ୟ କେତେକ ପଦର୍ଥ ସହତ ମିଶାଇ ଗଜବତ୍ର ବ | ଗୁଡିଏ ପଅର କର ଗୋଟିଏ ବର୍ଜନ ସ୍ଥାନରେ ଏକ ଭୂ ମିଖଣ୍ତ ଖୋଲିଲା । ଭହି ଉଗରେ ସେ ଗୁଳାଙ୍କୁ କହିଲ, “ ମହୋଦୟ, ସରୁ ପ୍ରସ୍ତୁତ, ଏବେ ମଞ୍ଜି ଗୁଡ଼ିକ ଏପର ବ୍ୟକ୍ତିଦ୍ୟାଗ୍ କୁଣାଇବାକୁ ହେବ ଯେ କେବେ କିଛି େଶ କର ନାହିଁ ; ଛମୁ ମଞ୍ଜି ଗୁଡ଼ିକ ଭୃଣକ।କୁ ପ୍ରସନ୍ନ ହେଉନ୍ତୁ ।” ଗଜା ଥଙ୍ଗେଇ ଥଙ୍ଗେଇ ଉତ୍ତର କଲେ, “ ଅମ୍ଭେ ପିଲା ୧ଲବେଲେ ଖେଲାସଙ୍ଗୀମ ନଙ୍କୁ ଦେବା ପାଇଁ କେବେ କେବେ ପିତାଙ୍କ ଝଙ୍କା ବାକସରୁ ୪ଙ୍କା ନେଇ । ଅମ୍ଭର ଅମାଭ୍ୟ ମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଜଣେ ମଞ୍ଜି ଗୁଡ଼ିକ ରୁଣ୍ଡୁ ।” କରୁ ମନ୍ତ୍ରୀମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ କେହି ଆପଣ।କୁ ସଂପୂ ରୁପେ ନରପଗୁଧ ମଣିଲେ ନାହିଁ । ଭକ୍ତି ସେ ଧୂର୍ତ୍ତି ଖେର କହଲ,

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ଯଦି ଆମ୍ଭେମାନେ ସମସ୍ତେ ଖେର ହେଉଁ, ତେବେ ମୁ ଏକ। କାହିଁକ ମୃତ୍ୟୁଦଣ୍ଡ ଲଭ୍ୟ ?” ଗଜା ଭର୍ତ୍ତ ହସିଲେ ଏବଂ କହିଲେ, “ ଭୁମ୍ଭେ

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ର ଜଣେ ବଡ଼ ଅମୋ୩ ଲେକ, ଭୂମ୍‌ ସଦ। ଅରୂପାଖରେ ରହିବ ଏକ ଅମ୍ଭେ ଯେତେବେଳେ କଷଣ ଵରୁ, ଆମ୍ଭଙ୍କୁ ହସାଇବ ।”’

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मौ रोम शहरों असतां एके दिवश सकाळ माझ्या कडून एक हसण्यासारखो चुकी झाली. एक मनुष्य रस्त्याच्या बाजूला कार्येत श्रापली टोपी हातांत घेऊन उभा राहिला होता. मौ तेथून जात श्रसतां त्यानें माझ्याकडे केविलवाण्या नजरेनें पाहिलें, परंतु तो कांहीं बोलला नाहीं. त्याची मुद्रा फार कष्टौ दिसत होती प्राणि त्याचा श्रांगरखा इतका जीर्ण झाला होता कीं त्याचे दोरे वेगवेगळे दिसत होते या वरून मला वाटलें कीं दारिद्र्यामुळे परक्यापासून भिक्षा घेणें ज्यांना भाग पडतें परंतु अभिमानामुळे तो ज्यांना मागवत नाहीं असे जे अनेक भिक्षेकरी प्राहेत त्यांच्यांतलाच हा एक प्राहे. मी मनाश म्हटलें “गरीब बापडा, याने खचित चांगले दिवस पाहिले आहेत,” प्राणि माझ्या शक्तानुरूप मौं त्याच्या टोपींत थोडें द्रव्य टाकलें . तँ पाहतांच त्याला विंचू झोंबल्या सारखें झालें, आणि माझे आभार मानण्याच्या ऐवज त्यानें स्वतःच्या भाषेंत माझ्यावर नाहीं नाहीं त्या अभिश्रापांचा वर्षाव केला. नंतर तें नाणें रस्त्यावर फेंकून देऊन दोन्हीं हातांनीं आपलो मळकट टोपी डोक्यावर चढविली आणि प्राचीन रोमन मनुष्याच्या वैभवाला साजे अशा रीतीनें तो तेथून डोलानें चालत गेला. तें पाहून जवळच एक वाणौ नापल्या दुकानाच्या दाराशीं उभा होता त्याला मोठी मौज वाटली प्राणि तो पौट धर धरून हसला. या बद्दलची माफी मागण्यास मला मुळींच अवकाश मिळाला नाहीं ; परंतु मी तेथून चालता झालों आणि मनांत निस्कय केला कीं प्रतःपर एखादा निर्धन गृहस्य उन्हाळ्याच्या तापांत हातांत टोपौ धरून वार्येत उभा राहिला असतां त्याला चुकौनें भिकारी आहे असे समजावयाचें नाहीं.

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